A beautiful Urdu poem shared by a friend…
Ehsaase Ulfat
एहसासे उल्फ़त
यकरवानी इन दिलों की मोजज़ा लगता है क्यों,यह तो फ़ितरत है तेरी फिर जीने से डरता है क्यों।राज़-ए-उल्फत यह है मैं तू हूँ, तेरा दम मुझमें है,अपनी सांसें मेरी साँसों में नहीं सुनता है क्यों।।— Chittaranjan Kaul [English translation here]
…and a song by Gulzar that haunts me just the same….
Tere Ishq Mein
affectionately…
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